शिवजी की पूजा मूर्ति तथा शिवलिंग दोनों रूपों में की जाती है शिव के गले में नाग देवता विराजमान करते हैं तथा उनके हाथों में डमरू और त्रिशूल होता है. क्षम्यतां नाथ, अधुना अस्माकं दोषः अस्ति। सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।। अर्थ: हे शिव शंकर https://shiv-chalisa-lyrics-aarti05581.blogsmine.com/30226307/shiv-chalisa-lyrics-bhakti-bharat-can-be-fun-for-anyone